250 रुपए से 2500000 कि कंपनी तक का सफर
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शौर्य गूप्ता Job Khabari कंपनी के Founder CEO |
एक समय था जब मुझे किसी भी कोलेज में प्रवेश नहीं मिल रहा था और किसी कंपनी नोकरी नहीं मिल रही थी.
परंतु उस समय मेरे अंदर एक जुनून था बडा आदमी बनने का और बड़ी कंपनी खोलने का और आज मैं job khabari कंपनी का founder CEO हुं.
आज मैं उस लड़के (शौर्य गूप्ता ) बात करने जा रहा हुं जीसने कैसे अपने सपनों को साकार किया.
“डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर।”
मैं शौर्य गूप्ता
एक समय था जब मैं मेरा भाई और मेरी मां हम सब नोएडा मे एक छोटे से घर में रहते थे. जब मैं छोटा था तब मेरे पापा की मृत्यु हो गई थी. हम जहां रहते थे वह उधौग क्षेत्र था. मैं जब भाई के साथ बहार जाता तो हम सोचते की हम एसे बड़े आदमी बनेंगे. मेरी मां ने कहा था कि बेटा तुझे जो भी करना है अकेले ही करना है क्योंकि हम सिर्फ तुम्हें पढा सकते हैं इससे अधिक धन ( पैसा ) हमारे पास नहीं है.
एक दिन कि बात हैं कोई आदमी हमारे घर के बहार मोटरकार पाकॅ करके चला गया. हम सब ने उस मोटरकार के मालिक को बहुत ढूंढा. 5 घंटे के बाद वह मोटरकार का मालिक आया तो मेरी मां ने उसे बहुत डांट. इस मुश्किल को देखकर उसे सुलझाने का प्रयास किया ओर मैं ने अपनी जिंदगी का पहला स्टार्ट अप ( Start Up ) शुरू किया "बटन दबाओ और वाहन हटाओ ". इस छोटी सी कंपनी बहुत तारीफें मिली, दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर नोएडा के बड़े बड़े अधिकारी और लोगों ने भी तारीफें करी. परंतु कहते है ना, "तारीफों से पैसा नहीं आता" वहीं मेरे साथ हुआ और दुःख के साथ मुझे इस छोटी सी कंपनी को बंद करना पड़ा.
अब मेरी पाठशाला की पढ़ाई खत्म हुई, मेरे भाई कि कोलेज में भर्ती ( admission ) हो गया. परंतु मेरा किसी भी कोलेज में प्रवेश नहीं हुआ. मैं बस में बैठकर लोट रहा था, मेरी आंखों में आंसू थे. मेरी मां ने कहा कि बेटा कोलेज में प्रवेश नहीं हुआ तो अब नोकरी करलें. किसी भी कंपनी में प्रवेश साक्षात्कार ( interview ) के लिए सी.वी. जरुरत होती है और मुझे सी.वी. क्या होता है यहीं नहीं पता था.
फिर मैंने सी.वी. बनाकर कई कंपनियों में interview दीया. कहीं जगहों पर तो मुझे कंपनी प्रवेश ही नहीं दिया जाता था वहां के गाडॅ मुझे कंपनी के दरवाजे से ही मुझे वापस लोटा देते थे. मैं ने 2 महीने में 20 से 30 interview दिये, परंतु कही भी मुझे नोकरी नहीं मिली. कितनी जगहों पर मेरा हुलीया, चेहरा, उम्र देखकर मुझे निकाल देते थे. कहीं लोगों ने मुझे कहा 4-5 हजार रुपए दो तो तुम्हारी नोकरी लगवा देंगे परंतु मैं ने साफ इन्कार कर दिया, क्योंकि मेरे अंदर जुनून था, कुछ करके दिखाना का जुनून था. इसलिए मैं ने रुपए देने का साफ इन्कार कर दिया.
" मेरा सबसे मुश्किल कार्य किसी भी कंपनी में प्रवेश करना था, क्योंकि कंपनी के दरवाजे पर ही मुझे रोक दिया जाता था. "
अब मैं निराश हो कर घर में बैठा तब मुझे भगतसिंह कि एक बात याद आई, " मेरी लडाई है, मुझे ही लड़नी है ". फिर से मैं एफ interview देने गया वहा मुझे पता चला कि, किसी कि नोकरी लगवाने पर कंपनी हमें रुपए देती है यह बात मैं ने पहली बार जानली थी.
मैं ने अपने घर सारी बचत किए हुए रुपए को खत्म कर दीया था. उस समय मेरे अकाउंट में केवल 250 रुपए थे. मैं ने उस रुपए से कंपनी में नोकरी पाने के पोस्टर छपवाए. और मुंह पे रुमाल बांधकर कई जगहों पर पोस्टर चिपकाए और कही पोस्टर लोगों में बांटे. यह बात मेरे भाई को पता चली तो उसने कहा कि, ' तुमने तो बड़े सपने देखे थे और यह छोटा काम क्यु कर रहा है.' फिर से घर में बैठा तब फिर से मुझे भगतसिंह कि एक बात याद आई, " मेरी लडाई है, मुझे ही लड़नी है ". इसलिए मैं फिर पोस्टर बांटने निकल गया. कहते हैं ना कि," सख्त परिश्रम का कोई-न-कोई अच्छा परिणाम जरुर मिलता है." कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ मुझे उस कंपनी कि तरफ संदेश आया कि, 'आपकि वजह से किसी कि नोकरी लग गई इसलिए कंपनी कि तरफ से आपको 2500 रुपए मिलते हैं.' यह बात जानकर मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि कई हार के बाद यह मेरी पहली सफलता थी.
अब मेरे पास दो रास्ते थे पहला रास्ता यह था कि इन रुपयों से पार्टी कर रुपयों को खत्म कर डालु, या फिर इन 2500 रुपए को 1लाख तक ले जाऊ.
अब मैं ने इन पैसों से एक कंपनी कि स्थापना कि ईस कंपनी स्थापने का मेरा उद्देश्य लोगों से बिना पैसे लिए नोकरी के बारे में बताना. ईस कंपनी का नाम job khabari रखा था. मैं ने पहले एक कर्मचारी को नोकरी पर रखा. कुछ महीनों के बाद कर्मचारी को तनख्वाह देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे इसलिए मेरी मां ने उसे तनख्वाह देदी और फिर से मुझे कंपनी बंद करनी पड़ी. परंतु मैं ने हार नहीं मानी और फिर से कंपनी कि स्थापना कि जिसका नाम job khabari रखा था. मैं ने एक कर्मचारी को नोकरी पर रखा और फिर से सख्त परिश्रम किया और उससे कई पैसे कमाए. एक दिन मेरे कर्मचारी ने एक आदमी को नोकरी के बारे में बताकर उससे 500 रुपए लिए. यह बात जब मुझे मालुम पडी तो मेरे पास दो रास्ते थे पहला यही कि उसे माफ़ करदु , या फिर उसने मेरे ऊसुल और कायदे को तोडा इसलिए उसे निकाल दु. मैं ने कई लोगों से सलाह ली सब ने कहा उसे माफ़ करदो. परंतु उसने मेरे ऊसुल को तोडा था इसलिए मैं ने उसे कंपनी से निकाल दिया. और उस आदमी को उसके 500 रुपए लोटा दिए.
ईस वजह से मुझे एक ओर बार कंपनी को बंद करना पड़ा. मैं ने हार नहीं मानकर फिर से कंपनी कि स्थापना कि और फिर ईस बार दो कर्मचारी को नोकरी पर रखा और मैं ने बहुत पैसे कमाए. ओर मेरा सपना पुरा हुआ.
मैं अपनी जिंदगी कि एक ओर घटना बताता हुं. एक कंपनी में जब मैं प्रवेश साक्षात्कार ( interview ) के लिए गया तब मेरे बड़े सपने देखकर, मेरी बड़े आदमी बनने कि ईच्छा देखकर उन लोगों ने दुसरी बार interview लेकर मुझे निकाल दिया था. अब दुसरी बार मैं जब फिर से उस कंपनी के मालिक के पास गया और कहा कि, " मैं वहीं इन्सान हूं जिसको आपने निकाल दिया था." और कंपनी के मालिक ने कहा," तो तुम ही शौर्य गूप्ता हो." फिर मैंने उसे मेरे कार्य के बारे में बताया. जिस कंपनी से मुझे निकाल दिया था उस समय मेरी आंखों में आंसू थे लेकिन ईस समय वही कंपनी के मालिक को अनुबंध ( contract ) के लिए मनाकर अनुबंध पर उसके हस्ताक्षर लेके आना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. उस समय मैंने और मेरे साथीयों हम सब मिलकर बहुत आनंद मनाया था. कई लोगों ने शुरूआत में हमारा साथ दिया, कई लोगों ने इन्कार दिया था.
लेकिन आज मेरी कंपनी 25 लाख का र्टनओवर करतीं हैं. कहते हैं कि," शून्य से शुरू किया हुआ व्यापार बहुत आगे तक जाता है."
🤗आप सब लोगों का धन्यवाद पढ़ने के लिए.🤗
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